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Showing posts from July, 2020

जल की उपलब्धता (Water availability)

भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत, जल संसाधनो का 4 प्रतिशत, जनसंख्या का लगभग 16% भाग पाया जाता है देश में 1 वर्ष में वर्षा से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग  4000 धन किलोमीटर है धरातलीय जल से 1869 किलोमीटर जल उपलब्ध है | इसमें से केवल 60% जल का ही लाभदायक उपयोग किया जा सकता है इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1122 घन किलोमीटर है| धरातलीय जल :- * धरातलीय जल के चार मुख स्रोत है- नदियां,झीलें ,तलैया और तालाब  • केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार भारत में सभी नदी वैसिनों में औसत वार्षिक जल प्रवाह लगभग 1869 घन किलोमीटर है. • गंगा ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के जल ग्रहण छेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है यह नदियां देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक तिहाई भाग पर पाई जाती है जिनमें कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल पाया जाता है. • दक्षिण भारतीय नदियों जैसे गोदावरी कृष्णा और कावेरी में वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है लेकिन ऐसा ब्रह्मपुत्र और गंगा बेसिन में अभी भी संभव नहीं हो सका है| वर्षा जल और हिमपात:-     भारत में सला...

A Story of an UPSC Aspirant (अनकही कहानी पार्ट -3)

#तू_तो_ऐसी_न_थी( पार्ट- ३)  _______________________________ ....पर तुमने धृतराष्ट्र बनना ठीक समझा, तू तो ऐसी न थी..... हाँ तू तो ऐसी न थी. मैं तो गीत तुम्हारी गाता हूँ। शब्दों में तुमको पाता हूँ। प्रेमपूर्ण जो साध वही है, मन देना अपराध नहीं है। हो..तुम आज भी वही, तुमसे वात्सल्य वही पाता हूँ, यह कहते नहीं थकता हूँ। तू तो ऐसी न थी...... बन पराग..तुम आयी थी, मेरे बोझिल मन में, तुम मृदु पुष्प सकुचाई सी। जगता हूँ लेकर याद तेरी, यादों में फिर सो जाता हूँ । सूना है घर व आंगन तुम बिन, याद है,मुझे जब तुम आती थी, हवा, में भी खुशबू घूल जाती थी, बंद कर ऑखो को, मुस्काती तस्वीर निहारता हूँ काश समय चक्र घूमता और तुम आती.... दे स्नेह..मन-सदन सजाती । आओगे यह हृदय-ध्वनि सुन, नित्य दिन स्वप्न सजाता हूँ। पर नियति के हाथों मारा जाता हूँ, आज बोझिल मन हल्का हुआ, मन भर भार खत्म कर, तुमने फिर से कटे पर जोड़, खुले आसमान में उड़ने की, ऊचाईयो को छूने की, हिम्मत दें..... फिर से किया वादा, बन सखा साथ निभाऊंगा, साथ देखें सपने बन सखा पूरा करूँगा, पुनः वादा यह करता हूँ... तू...