गणतंत्र दिवस..

अपना यह गणतंत्र दिवस फिर आया है।
जन-जन के दिल में देशप्रेम जगाया है।

यह दिन वह जिसके लिए जानें गयी थी,
वीरांगनाएँ भी निज लहू बहाने गयी थी।
उनके ही बलिदानों से देश जगमगाया है।
अपना यह गणतंत्र दिवस फिर आया है।

स्वतंत्र हुए हम अब पथ प्रशस्त है आगे,
मिले सुख सबको न भूख से कोई जागे।
नव मानव नवल ज्ञान चतुर्दिक छाया है। 
अपना यह गणतंत्र दिवस फिर आया है।

यह स्वप्न हमारा..देश को..स्वर्ग बनाएंगे,
गौरव के..हर उत्तुंग शिखर..हम पायेंगे।
लौटेगा वह मान..जिसे हमने गंवाया है। 
अपना यह गणतंत्र दिवस फिर आया है।


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