मजदूर


बिहार व उत्तरप्रदेश ,झारखंड के मजदूर व प्रवासी भाइयों को पहले राज्यों से भागने का फरमान हरदम सुनाया जाता था.
कुछ राजनीतिक पार्टियों की दाल-रोटी इसी से चलती थी. इस कोरोना रुपी विपदा में भी कुछ राज्य तो इसमें भी झूठ बोल कर पैदल यात्रा को विवश कर आखिरकार घर जाने को मजबूर किया.
अब जब सरकारी आदेश मिला गृह राज्य व्यवस्था कर रही है, तभी इन अमीर राज्यों में मजदूर प्रेम की चेतना जग गयी,, वह भी अब एहसास करने लगे कि ये लोग यदि चले गए तो इनके #फेक्ट्रीयों में काम कौन करेगा,अब मिठास भरी बोली बोलने लगे.
अरे सर जब ये बिहार, उत्तरप्रदेश वाले चले गए तो फिल्टर वाली पानी पिने,टेम्पू, रिक्शा तक के लिए तरस जाओगे.
जब ये वापस आ जाएंगे कम से कम दो महीने भी रह जाए तो थोड़ी मालिक वाली अक्ल भी ठिकाने आएगी.
जनाब ये आपके अतिथि है, सम्मान दीजिए,थोड़ा प्यार दीजिए ,घृणा की दृष्टि से मत देखिए.आपकी BMW वाली गाड़ी भी इनकी ही बदौलत है.


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