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Showing posts from February, 2021

वह सबकी प्यारी

वह  सबकी प्यारी  लली थी, मैं सबका प्यारा  लला था। वह  बड़े ही नाजों से  पली थी, मैं भी बड़े प्यार से  पला था। धीरे बढ़ी  गलियों में निकलने लगी, मेरे मन में   वह तुलसी बन  पलने लगी। देख उसको  सूरज निकलने लगा, उसको ही देख  शाम ढ़लने लगी। उसके घर तक ही  मेरा हर रास्ता था, सारी दुनिया में उसका  मुझसे वास्ता था वह थी मैं था  उसका मेरा  हमारा मन था महका है  मन में वह  जो तुलसी का उपवन था हाँ! याद है प्यार.. तुलसी का  उपवन में...! सुरभित है  मेरे अस्तित्व का  कण-कण में...!

क्या वक्त कभी ठहरा..

   दिन भारी भारी है    रात भी सहमा सहमा है    तो क्या हुआ ...    गुजर जायेगा ये लम्हा भी    क्या वक़्त कभी ठहरा है    वीरान हुई सड़कों पर    फिर से चहल पहल होगी    खो चुकी गलियारों की रौनक    फिर से गुलजार होगी    फिर से खनक उठेगी    चूड़ियों की आवाजें    मंदिर की घंटी की मधुर ध्वनि    से गूंज उठेगा देवालय    और मन में फिर से     विश्वास और आस्था भरेगी     बच्चों की खिलखिलाहट से     दमक उठेगी स्कूल की चारदिवारी     हम स्कूल चले हम स्कूल चले     का शोर गूंजेगा हर तरफ        फिर जमेंगी चौपालें      मिल बैठेंगे दोस्त यार      एक दूसरे का हाल पूँछेगे      और फिर हंसी के फव्वारे छूटेंगे      लेकिन बदल जायेगा बहुत कुछ     बदल जायेगी जीवन शैली     बहुत कुछ सीखा कर     ये वक़्त गुजर जायेगा  ...

यादें, याद आती है

पत्ते-पत्ते पर, तेरा ही नाम लिखा है,  संग जो बीता लम्हा ,तमाम लिखा है। सपनों में बनेगा घरोंदा,वो आम लिखा है,  शूल बन चुभती हैं ,पुरानी यादें मन में, गाती हैं दिशाएं ,अब क्रंदन के सुर में।  तु ही सुबह,तु ही शाम लिखा है हर जर्रे में तेरे लिए ,सलाम लिखा है। जाने क्यों जग वाले,अब हमारे प्रेम से जलते हैं, हम क्यों, सबकी आंखों में खलते हैं।  हरसूं  दिलों का ,कत्ले-आम लिखा है,  पत्ते-पत्ते पर ,तेरा ही नाम लिखा है | यहाँ जग भले जले ,पर प्यार पलेगा, कारवां तो प्रेमियों का ,हरदम चलेगा। प्यार के नाम,मस्ती का जाम लिखा है,  पत्ते- पत्ते निशि, तेरा ही नाम लिखा है ||