Posts

Showing posts from May, 2022

माँ

    मां ----------- मां जननी है, जन्मभूमि है, मां ही सृष्टि आधार है, ममता,करुणा का रक्त पिलाकर देती पोषाहार है, शब्दों रिश्तों का ज्ञान कराती, मां ही प्रथम गुरु पाठशाला, ब्रह्मा विष्णु और महेश को, मां ने ही शिशु रूप दिया, देवों की शक्ति बनकर, असुरों का संहार किया, नारी शक्ति में रची बसी, अद्भुत कीर्ति महान हो, दुर्गा, काली और सरस्वती का ज्ञान हो, मां तुम समाहित विविध रूपों में, सृष्टि का विधान हो, वसुंधरा बन हर भार उठाती, रोते बच्चों की मुस्कान हो, भटके पथिकों को राह दिखाती, मंजिल की पहचान हो, मुझे नया जीवन देकर, मेरा अनुपम आधार हो, तेरी ममता का मोल चुकाना, बड़ा कठिन व्यवहार है, देव मनुज और दानव सब पर, मां की ममता की दुलार है, ममता से ही रचा बसा, संपूर्ण सृष्टि विस्तार है, मां ने जिसको गले लगाया, उसका बेड़ा पार है, मां की ममता सबसे ऊपर, देती प्राण संचार है, बीज को पौधा बनने तक, सहती कष्ट अपार है!

मजा ही कुछ और है, रिटायरमेंट के बाद

*मजा ही कुछ और है* ============= रिटायरमेंट के बाद मजा ही कुछ और है ! सुबह देर से उठने का बिसतर पर करवटें बदलने का और दो बार बेड टी पीने का मजा ही कुछ और है ! इतवार सोमवार भूल जाने का नहाना गोल कर जाने का और बीबी को सताने का मजा ही कुछ और है !! जाडों में धूप का गरमी में ऐ.सी. का और बरसात में पकौडियों का मजा ही कुछ और है !!! घडी की ओर पीठ कर लेने का टी.वी.चैनल बदलने का और पत्नी से डांट खाने का मजा ही कुछ और है !!!! व्हाट्सएप एप में घुसने का f.b. पर लाइक का और फिर चादर ओढ कर सोने का मजा ही कुछ और है !!!!! वीक डेज में कम रेट मूवी का दिन में शापिंग का और लाँग डऱाइव का मजा ही कुछ और है !!!!! पूरा अखबार चाट जाने का जब मन हो लोट लगाने का और बीबी को कविता सुनाने का मजा ही कुछ और है  !!!!!! पुराने गीत गुनगुनाने का यादों में खो जाने का और चोरी से मुस्कुराने का मजा ही कुछ और है !!!!!! पुलाव के लिए मटर छीलने का खाने को सलाद काटने का और किचन में हाथ बँटाने का मजा ही कुछ और है !!!!!!! *रिटायरमेंट के बाद , मजा ही कुछ और है !!!!!!!!*

संघर्ष की कहानी

संघर्ष की चक्की चलती है मेहनत का आटा पिसता है, सफलता कि रोटी पकती है और अपना सितारा चमकता है। सहारों का उजाला हो कितना खुशियों तक ही वो टिकता है, मजबूरियों के फिर अंधेरों में हिम्मत का शोला दहकता है। मंजिल हो प्यारी जिसको वो राहों में न कभी अटकता है, भूल जाए जो लक्ष्य कभी वो सारा जीवन भटकता है। है गर्म हवाओं का डर उसको जो मखमल में ही पलता है, उसे अंगारों का भय क्या होगा जो काँटों पर ही चलता है। जब दौर है होता गर्दिश का तो अस्तित्व कहाँ फिर बचता है, चले जाते हैं आशियाने में पंछी तूफ़ान में बाज ही उड़ते हैं। स्वाभिमान जो दिल में हो ईमान न ये फिर खिसकता है, न राजा रहे न रंक रहे यहाँ वक़्त भी कहाँ टिकता है। बैसाखियाँ छोड़ बहानों की जो हौसलों से ही चलता है, होता है अलग वो दुनिया से इतिहास वही फिर रचता है। संघर्ष की चक्की चलती है मेहनत का आटा पिसता है, सफलता कि रोटी पकती है और अपना सितारा चमकता है।