जमीं से आसमां का प्यार.....

यहाँ जमीं से आसमां का प्यार देखा।
रात भर जो रोया..वह इजहार देखा।

आँसू जो बरसे फ़लक की आँखों से,
उसे समेटते ज़मीं को बार-बार देखा।

फूल खिलते रहे प्यार के हमेशा यहाँ,
जल-जल कर मरते हुए संसार देखा। 

रिश्तों की कदर खो दिया जमाना ने,
समाज को..बनते हुए बाजार देखा।

जुबां पर.मरने वाले..मिला न कोई,
वादा से..मुकरने वाले..हजार देखा।
                               

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