बेटे कहे गरीब के..
बेटे कहे गरीब के, सबसे सदा पुकार।
हो सकता तो बन्द हो, शिक्षा का बाजार।।
फीस जेब में है नहीं, सपने सजे हजार।
शिक्षा के बाजार में, हर निर्धन लाचार।।
दौलत हित बनती यहाँ,दौलत की सरकार।
निर्धन निर्धन ही सदा, रहने को लाचार |
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