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Showing posts from January, 2021

हर कर्तव्य निभाना होगा

हर कर्तव्य निभाना होगा ।आगे कदम बढ़ाना होगा ।।जीवन में कठिनाई आए ,संघर्षों के बादल छाए।           हर पग ठोकर जब भी खाई-सँभले हम गिरने कब पाए।।मृत्यु नाचती देती दस्तक , तुमको दूर भगाना होगा।।भयाक्रांत परिवेश हुआ है ,मन में सबके क्लेश हुआ है । बंद सभी बैठे कमरों में -व्याधि ग्रस्त जन देश हुआ है।।बने चिकित्सक जिम्मेदारी,मन को कड़ा बनाना होगा ।।साहस मन का बाकी रखना । धीरज मन का कभी न डिगना  । बहुत कड़ी हैं जीवन राहें-विचलित मन को साधे रहना ।।अर्थ व्यवस्था भी डगमग है , भारत सबल बनाना होगा।।बना वायरस प्रलयंकारी,सीमा पर भी रण है जारी।   जूझ रहे हैं सब संकट से -चिंता से मन होता भारी।।   वीर सिपाही नमन तुम्हें है,सीमा पर अब जाना होगा।।

बेटे कहे गरीब के..

बेटे कहे गरीब के,       सबसे सदा पुकार। हो सकता तो बन्द हो,  शिक्षा का बाजार।। फीस जेब में है नहीं,    सपने सजे हजार। शिक्षा के बाजार में,     हर निर्धन लाचार।। दौलत हित बनती यहाँ,दौलत की सरकार। निर्धन निर्धन ही सदा,    रहने को लाचार |

रोने से नहीं होती नैया पार

रोने से होती नहीं, डगमग नैया पार। साहस करने से सदा,मिलती मंजिल यार।। नैन बसे वह चेहरा, छोड़ गये जो साथ। जगह लगाती आग वह, जहाँ धरे थे हाथ।। पूजा था जिसको सदा,अपना सब कुछ मान। धोखा देकर वह सजन, वही ले गयी जान।।

गणतंत्र दिवस..

अपना यह गणतंत्र दिवस फिर आया है। जन-जन के दिल में देशप्रेम जगाया है। यह दिन वह जिसके लिए जानें गयी थी, वीरांगनाएँ भी निज लहू बहाने गयी थी। उनके ही बलिदानों से देश जगमगाया है। अपना यह गणतंत्र दिवस फिर आया है। स्वतंत्र हुए हम अब पथ प्रशस्त है आगे, मिले सुख सबको न भूख से कोई जागे। नव मानव नवल ज्ञान चतुर्दिक छाया है।  अपना यह गणतंत्र दिवस फिर आया है। यह स्वप्न हमारा..देश को..स्वर्ग बनाएंगे, गौरव के..हर उत्तुंग शिखर..हम पायेंगे। लौटेगा वह मान..जिसे हमने गंवाया है।  अपना यह गणतंत्र दिवस फिर आया है।

यह सच है

यह सच है दौलत मोहती है साथ नहीं जाती  रूप ओस की बूँद है टिकता नहीं बहुत दिन प्रेम है अमर जीवन के लिए जल यह सदैव  घूमता है वायुमंडल में  जीवन देता है वनस्पतियों को जीवों को जीवन देता है सच ही यह प्रेम अमर्त्य है  आदमी मर जाता है मगर प्रेम रहता है सामने दशरथ मांझी के पथ की तरह रामेश्वरम के राम-पुल या आगरा के ताजमहल की तरह।                                     

जमीं से आसमां का प्यार.....

यहाँ जमीं से आसमां का प्यार देखा। रात भर जो रोया..वह इजहार देखा। आँसू जो बरसे फ़लक की आँखों से, उसे समेटते ज़मीं को बार-बार देखा। फूल खिलते रहे प्यार के हमेशा यहाँ, जल-जल कर मरते हुए संसार देखा।  रिश्तों की कदर खो दिया जमाना ने, समाज को..बनते हुए बाजार देखा। जुबां पर.मरने वाले..मिला न कोई, वादा से..मुकरने वाले..हजार देखा।                                

कर्मपथ..

हे मानव!  सजाया है धरा को जाना है तुमने परा अपरा को तुमने की हैं भक्तियां हाँ है तुममें  अपरिमेय शक्तियां  लगा जोर कभी होना नहीं  जरा भी कमजोर राग कर्मों का अविरल गा लो तुम मनचाहा मंजिलें  निर्बाध पा लो तुम मत हार कभी बाधाओं को निडर मार सभी  चल कर्मपथ पर  चल चल अभी।                

कृषि कानून व विवाद

    कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। हालाँकि सकल मूल्य वर्धन में इसका योगदान 2019-20 में 16.5% (2014-15 में 18.2%) था, लेकिन इसके बावजूद  कुल जनसंख्या के लगभग 58% के लिए यह रोज़गार का क्षेत्र है। मौजूदा केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की प्राप्ति तभी सरल होगी जब कृषि में विद्यमान कुछ चुनौतियों का सामना किया जाए, जैसे, संस्थागत ऋण तक किसानों की पहुँच में कमी, बीमा का कम विस्तार, कृषि में निवेश का निम्न स्तर, यांत्रिकीकरण और तकनीकों के प्रयोग में कमी आदि।  दूसरी ओर, कृषि क्षेत्र में एक और बड़ी चुनौती छोटे और सीमांत किसानों की है। 10वीं कृषि जनगणना के अनुसार, छोटे और सीमांत किसानों (2 हेक्टेयर से कम भूमि) का अंश कुल किसान जनसंख्या में 86.2% है, लेकिन कुल फसल क्षेत्र में इनका अंश केवल 47.3 % है। इस सर्वेक्षण में यह भी उल्लेख है कि 2010-11 और 2015-16 के बीच कृषि जोतों के छोटे होने की दर सबसे अधिक रही थी। साथ ही, भू-स्वामित्व का वितरण भी असमान बना हुआ है।  उच्चतम न्यायालय ने ये स्पष्ट कहा है कि भा...